- इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक लाभों को हासिल करने के लिये कार्यों में तालमेल का प्रयास करना है.
- इस एक्शन प्लान का उद्देश्य समाज को पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करते हुए सभी के लिये स्थायी शीतलन और उष्मीय सहूलियत प्रदान करना है.
आवश्यकता |
भारत में बढ़ रहे कार्बन उत्सर्जन के चलते इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान की मांग बढ़ी है. इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) अलग अलग सेक्टरों में कूलिंग को लेकर एक व्यापक दृष्टिकोण के तहत बनाया गया है, जिससे हम 20 साल की समयावधि में कूलिंग की मांग को घटाने, रेफ्रिजरेंट ट्रांजिशन, ऊर्जा दक्षता को बढ़ाने और बेहतर तकनीक का इस्तेमाल. |
इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान के लक्ष्य
- 2022-23 तक कौशल भारत मिशन के तालमेल से सर्विसिंग सेक्टर के 100,000 तकनीशियनों को प्रशिक्षण और प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराना.
- इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान द्वारा अगले 20 वर्षों तक सभी क्षेत्रों में शीतलता से संबंधित आवश्यकताओं से जुड़ी मांग तथा ऊर्जा आवश्यकता का आकलन करना.
- शीतलता के लिये उपलब्ध तकनीकों की पहचान के साथ ही वैकल्पिक तकनीकों, अप्रत्यक्ष उपायों और अलग प्रकार की तकनीकों की पहचान करना.
- सभी क्षेत्रों में गर्मी से राहत दिलाने तथा सतत् शीतलता प्रदान करने वाले उपायों को अपनाने के बारे सलाह देना.
- तकनीशियनों के कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करना.
- घरेलू वैकल्पिक तकनीकों के विकास हेतु ‘शोध एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र’ को विकसित करना.
- 2037-38 तक विभिन्न क्षेत्रों में शीतलक मांग को 20% से 25% तक कम करना.
- 2037-38 तक रेफ्रीजरेंट डिमांड को 25% से 30% तक कम करना.
- 2037-38 तक शीतलन हेतु ऊर्जा की आवश्यकता को 25% से 40% तक कम करना.
लाभ
- मेक इन इंडिया – एयर कंडीशनर और उससे जुड़े कूलिंग सामानों का लिए घरेलू स्तर पर उत्पादन.
- कूलिंग तकनीक के लिए खोज और विकास का उचित प्रबंध – कूलिंग सेक्टर में नई तकनीक को बढ़ावा
- किसानों की आय दोगुनी – बेहतर कोल्ड चेन की सुविधा, किसानों को अपने उत्पाद की अच्छी कीमत मिलेगी और उत्पाद खराब भी नहीं होगा
- बेहतर जीवन और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दक्ष कामगार मौजूद होंगे.
- गर्मी से राहत – हाउसिंग बोर्ड के ईडब्ल्यूएस और एलआईजी घरों में कूलिंग का प्रावधान.
- सतत कूलिंग – कूलिंग से जुड़े लो जीएचजी उत्सर्जन